आख़िर आप चाहते क्या हैं?

बहुत अहंकारी हैं आप!
आपके सोचने से आपका प्रेम
सबसे सच्चा नहीं हो जाता
दुःखी होने पर सिर्फ़ आपके ही
आँसू नहीं बहते,
प्रेम बस शब्दों और भावनाओं से नहीं
प्रैक्टिकैलिटी से चलता है
नहीं समझ पाये
तो ये ग़लती है आपकी,
क्योंकि अगर किसी को दुःख पहुंचाना है
तो दूर बैठे आपको ही क्यों नहीं?
वैसे भी, जो गाय
ज़्यादा मारती है
चौकड़ी भरती है
रखा जाता है उसका ज़्यादा ख़्याल;
जो कुछ नहीं कहती
शांत रहती है
उसे बाँध दिया जाता है
कोने में खूँटे में,
बह रहा है आँखों की कोरों से
उसकी आँसू,
वहाँ हमेशा के लिये
काला हो गया है!

फोन की कुछ कॉल्स
स्क्रीन पर कुछ मेसज
साझा की कुछ तस्वीरें
शब्दों का कुछ दिलासा
यादों की कुछ खुरचन
हमेशा कुछ देने की आशा
इतना कुछ तो दिया है,
आख़िर आप चाहते क्या हैं?

बिना कुछ बोले आवाज़ आयी
“कुछ भी नहीं!”
कुछ भी नहीं…..

– प्रशान्त

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