एक डंठल पीली तोड़ कर
मिटाये सूखने के निशान
पीले हो गये तुम पर
नहीं पहुँचोगे श्मशान,
तिनका जब तक रहेगा एक भी हरा
भाग्य जीवन का रहेगा सदा भरा।
हरे हो तुम तो हरी हैं
तुम्हें देने वाले की दुआयें
वो नहीं है यहाँ पर तो क्या
हर लेता है सारी बलायें,
तिनका जब तक रहेगा एक भी हरा
विश्वास-कलश रहेगा सदा भरा।
कुछ पीले धब्बे तुम पर
तुम्हे कर देते हैं और भी सुंदर
प्रेम बसता जो उनके नयन में
अश्रु बहाता हर प्रश्न के प्रत्युत्तर,
तिनका जब तक रहेगा एक भी हरा
बेनाम हर रिश्ता रहेगा अर्थ से भरा।
तुम सूखते हुये पौधे हो
तुम्हें पाया है निज उपहार
सूर्यकिरण सा तुम्हें देख कर
समर्पित करता हार्दिक आभार,
तिनका जब तक रहेगा एक भी हरा
कंटक जीवन पथ रहेगा पुष्पों से भरा।
– प्रशान्त