सावन क्यों इतना सुंदर है
क्यों सोया प्रेम जगाता है
जो सांसें कब की टूट चुकी
क्यों उनमें प्राण जगाता है?
लहराते पेड़ों पर इठलाती डाली
झूम रही है बदरा काली-काली
जो बातें कब की भूल चुकी
क्यों उनमें रस आ जाता है?
टपक रही है पेड़ों से कल्लो रानी
और ज़मीन पर रुका हुआ है पानी
जो वक़्त कब का गुज़र चुका
वो बचपन क्यों याद आता है?
ये आषाढ़ जो है मेरे पास
इसी को देखे थे क्या कालिदास
जो आने की बातें पक्की हैं
क्यों सावन पहले झुलसाता है?
कल तक बिल्कुल सूखी थी
जो प्यासी थी और भूखी थी
जो जीने की राहें भूल चुकी
क्यों सावन उसे आस बंधाता है?
-प्रशान्त