सपने वाला प्रेम

उमड़ आयी जो कल सपने मे मेरे 

वो तुम ही थी, 
या मेरा कोई अधूरा सपना 
जो इस संसार में रास्ता न पाकर 
नींद के चोर दरवाज़े से 
पहुंची मुझ तक ऐसे 
जैसे ठिठुरती सर्दी के बाद 
आता है बसंत। 
तुम सामने थी जब 
उस भीड़ में भी शान्ति थी 
सुना तो बहुत था 
पर पहली बार उसी दिन 
आँखों को पढ़ा था मैंने,
क्या तुम्हे भी दिखी थी 
कोई उलझी सी कहानी 
आँखों में मेरे?
मेरी उभरती साँसों में 
कोई शब्द न थे,
किसी ने जैसे 
मेरे जीवन को निःशब्द कर दिया,
आ जाओ तुम मेरे पास 
तुम्हारी सरल चेतना का स्पंदन
शायद मुझे फिर से 
जीवित कर दे।
प्रेम विकृत सा ही मिला मुझको 
प्रेम ने आँसूं ही दिए मुझको,
क्षत -विक्षत हृदय से 
गीली आँखें जब देखती हैं तुमको,
तो डर लगता है 
तुम्हारी असीम सुंदरता 
तुम्हारा अक्षुण्ण यौवन,
सिर्फ तुम्हारा है या 
है मेरा भी?
पैसे से तौली जाने वाली ज़िन्दगी में 
क्या तुम बिना दाम के 
मुझे मिल सकती हो?
क्योंकि, मेरे पास 
कुछ भावों,
कुछ शब्दों,
कुछ प्रेम, और 
इस नश्वर शरीर के सिवा 
और कुछ भी नहीं!
ले जाना चाहता हूँ मैं 
तुम्हे वहाँ 
जहाँ काल निर्मम नहीं 
है बस साक्षी अनमना सा 
विवश हमारे प्रेम से 
चलाता चक्र कुछ यूं कि 
जीवन से परे हम अलग न हों। 
क्या तुम ही हो 
मृत्यु के बाद वाला जीवन?
कुछ तो अलग है में 
तुम्हारी उपस्थिति में मुझे 
अपनी असफलताएं,
अपनी त्रुटियाँ,
अपने कुछ पके बाल,
आँखों पर चढ़ा चश्मा,
बगल से झांकती आँखें,
या चुगलियाँ करती आवाज़ें,
कुछ भी याद नहीं रहता!
क्या नाम है तुम्हारा?
क्या पहचान है तुम्हारी?
तुम्हारे अस्तित्व का
हर क्षण नया है 
तुम्हारी हर मुस्कान की तरह,
तुम वो हो 
जिसे मेरी आँखें पकड़ नहीं पातीं,
मेरे लिये तुम्हारी बस एक पहचान है 
तुम्हारा वो स्पर्श,
जिसका आभास तुम्हारे 
रहने न रहने पर भी 
रहता है मुझे। 
तुम ही हो मेरे जीवन का आधार 
जो किसी को भी 
न दिखायी देता है,
कोई तुम्हें देखे भी क्यों!
छुपा लो मुझे तुम 
विराटता में 
अपने व्यक्तित्व और सौंदर्य की, और 
गायब हो जाओ हमेशा के लिये 
किसी ऐसी जगह 
जहाँ नियम हमारे हों 
और न्याय भी हमारा। 
हाँ, तुम ही प्रेम हो मेरे जीवन का 
सपने में ही सही,
प्रेम, जो पहली बार 
बन कर आया है स्त्रीलिंग 
अपनी स्त्रैण सरलता,
सरसता के साथ;
तोड़ कर बंधन 
छद्म नारीवाद के
लिपट गयी हो तुम मुझसे 
जोंक की तरह;
पर तुम मेरा खून नहीं 
दुःख चूसती हो,
तुम कोई और नहीं, तुम ही 
मेरी प्रेमिका, मेरी देवी हो। 
-प्रशान्त  
 
    

Leave a comment