मुझे अम्बेडकर देख रहे हैं

मुझे अम्बेडकर देख रहे हैं आज
अपनी उन्हीं आँखों से
पढ़-पढ़ कर जिनसे
लिखा था उन्होंने संविधान
क्यों मुस्कुराते हैं वो मुझ पर?
मेरी असफलता, मेरी कमी
या प्रेम पर मेरा आश्रय देख कर?

मैंने उन्हें धोखा दिया है लेकिन,
ना पढ़ कर संविधान।

जब तक सोयेगा कोई भूखा
इस देश-जहान में
तब तक,
प्रेम पाप है!

-प्रशान्त

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