हर उस बेटी के लिये जो अपने सपनों को जीने के लिये अपनी माँ और अपने घर से दूर है।
छोटी सी गुड़िया प्यारी सी गुडिया बंद कर के मुट्ठी में चंदा की पुड़िया सपनों के आँगन में दूर घर से फिर भी ममता के आँचल में तू सो जा तू सो जा
तुझे जगना है कल फिर इस दुनिया से मिलना है पर डरना ना तुम मेरी दुआओं का ताबीज़ तुम्हारे गले में लटका है मेरी फ़िक्र के धागे में बचपन का काला टीका अब भी अटका है तू सो जा
तू ना रोना कभी न कहीं खोना कभी भूल जाओ राह अगर डगर तुम खोना नहीं बस बंद कर लेना आँखें और पकड़ लेना वो हाथ जो आगे है और रहेगा सिर्फ तुम्हारे लिए तू सो जा तू सो जा
इस दुनिया का रंग नहीं इतना भी फीका कल उठ के देखना शीशा तुझे दिखेगी नयी दुनिया तू सो जा गुडिया
पकड़ मेरी ऊँगली चली जा इस नदी के पार तू निंदिया के पास तू सो जा गुडिया तू सो जा गुडिया
पकड़ मेरी ऊँगली चली जा इस नदी के पार तू निंदिया के पास तू सो जा गुडिया तू सो जा गुडिया
-प्रशान्त