नुमाइश प्यार की अपनी यहाँ मैं कर नहीं सकता
मैं सुन सकता हूँ तुमको लेकिन पढ़ नहीं सकता
वो रुसवा हो के जिसके संग तुम खुश सी रहती हो
हंसा सकता है,पर आंसूँ तुम्हारे पी नहीं सकता
मैं सुन सकता हूँ तुमको लेकिन पढ़ नहीं सकता
वो रुसवा हो के जिसके संग तुम खुश सी रहती हो
हंसा सकता है,पर आंसूँ तुम्हारे पी नहीं सकता
नशा बदगुमानी का अभी तुम पर तो भारी है
ख़ता इसमें नहीं तुम्हारी,सब ग़लती हमारी है
ये शिकवे आज मैं जो ज़माने से करता हूँ
तुम्हे ऐसा बनाने में कमी शायद हमारी है
जो कल था,आज ना है,जो है आज वो कल नहीं होगा
भले न हो शाद कोई आज,मगर मातम नहीं होगा
सुनाये किसको नाकामी हम अपने ख्वाबों की
भरी इस भीड़ में यारों,ना अपना कोई यार ही होगा
जाने से किसी के ज़िन्दगी बेसाज़ नहीं होती
ये आँखें भी हदों के बाद फिर बिलकुल नहीं रोतीं
दुआ करने की “अशांत” के ख़ातिर नहीं कोई ज़रूरत है
ख़ुदा बनाया जिसने तुमको,वो यूं ही मिट नहीं सकता
-अशांत