सख्त दरवाज़े

सख्त दरवाज़े थे मेरे भी घर के

पर वक़्त के साथ खुल गए

वो जो कालिख़ लगी है कुण्डी पे
और जो दरारे हैं पल्लों पे
असर है उस आग का 
जो सालों पहले मैंने लगाईं थी
जो निशान था मेरे हाथ पे
सर्जरी से उसे दिल पर लगवा लिया था 
तब से घर के सारे हाथ 
बेहिचक उठते हैं
और उन पर कोई निशान नहीं है
अशांत

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