क्या ज़रूरी है कि हर रिश्ते का इकरार हो
ये ज़रूरी नहीं हर इकरार का इनकार हो
इतने नाम सुने हमने इस जहान में
क्या ज़रूरी है हर रिश्ते का कोई नाम हो
एक मुलाकात रिश्ते बना जाती है
इबारत कोई नयी लिख जाती है
मीठा सा लगता है सब कुछ हद तक
हलकी सी खटक सब खट्टा कर जाती है
दिखाते है कुछ और करने को कुछ और होते है
अकेले छोड़ने वाले ये प्यारे कोई और होते है
हमारा क्या हम चमकते गर्दिश के सितारे है
सदा चमकने वाले रिश्ते शायद कोई और होते है
इरादों से मुकम्मल जहान कुछ और होते है
जज्बातों की कसौटी पर खरे कुछ लोग होते है
कोशिशें एकतरफा कभी पूरी नहीं होतीं
हर डोर के हमेशा दो छोर होते हैं
रिश्तों की ज़मीन पर अहमियत खून की है
पर दिल से कमाए रिश्ते अजीज़ होते है
शतरंज की बिसात बिछती कई बार है
पर रिश्ते के खेल तो बस एक बार होते है
अशांत