निकलो ना इस धूप में!!

निकलो न इस धूप में
कुछ पीला पहन कर
कहीं सूरज ना छुप जाए
बदली में तुझसे घबरा कर।

तेरी रूप की शमा है जो
नही है मामूली बड़ी ख़ास है
जल जाएगा वो हर कोई
जो मुझे छोड़ तेरे पास है।

ना मुस्कुराना तुम खुल के
कहीं ये फिजा ना बहक जाए
बुझ गए थे जो इरादे जवान
कहीं ना फ़िर दहक जाएँ।

चेहरे की सुर्खी अपनी छुपा लेना
ये कमसिन जवानी ना तू गवां देना
तेरी खिदमतगार जो हवाएं हैं उनसे
मेरे लिए अपनी खुशबू बचा लेना।

ये तुम पर है चाहे जो
नेमत दुनिया पर लुटा देना
पर सारी कायनात का इश्क
बस मुझ पर ऐ जान लुटा देना।

अशांत

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